Thursday 29 October 2009

आज पूरा एक साल हो गया जब से मिट्ठू ने मुझे छोडा है। लेकिन मुझे लगता है की अभी कल की ही बात है। वो दिन था और आज का दिन है, मिट्ठू ने मुझे एक बार भी याद नहीं किया। और करे भी क्यों मैंने उसे दिया भी क्या जिसके लिए वो मुझे याद करे? वो हमेशा से एक अच्छा इंसान तलाश करती थी जो उसको समझ सके और खुश रख सके। और वो उसको मिल गया। मैं उसको सिर्फ़ प्यार ही दे पाया, लेकिन वो भी क्या करे, सिर्फ़ प्यार से जिंदगी थोड़े ही चलती है? जिंदगी जीने के लिए सबसे जरूरी है पैसा फिर गाड़ी और भी बहुत कुछ, जो की मेरे पास नहीं है। अन्तिम बार जब मेरी बात मिट्ठू से हुई तो उसने मुझे फिर याद करवाया के देखा पैसा कितना जरूरी है।
अब तो मिट्ठू ने अपना फ़ोन भी बंद करवा दिया है। मेरी अन्तिम इच्छा यही है की मैं मरूं तो मेरी चिता को आग मिट्ठू ही दे, लेकिन अब तो शायद भगवन को वो भी मंजूर नहीं है। क्यों की मेरी मरने की ख़बर अब उस तक पहुंचना नामुमकिन है। हे भगवन मेरी मिट्ठू को वो सबकुछ देना जो उसे चाहिए। उसको वो सारी खुशियाँ देना जिसकी उसे तलाश है। हे बाबा जी मिट्ठू के सारे दुःख मेरे और मेरी सारी खुशियाँ मिट्ठू की।

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