Monday, 19 July 2010
आज ऑफिस में बैठा था तो अचानक से वही जानी पहचानी फ़ोन कि घंटी बजी जो मैंने अपने मोबाइल में मिट्ठू के नंबर पे लगाई है. मैंने झट से अपना फ़ोन चेक किया तो सच में, मेरा ही फ़ोन बज रहा था और नंबर भी वही था. मिट्ठू ही थी, वो ठीक है और खुश है ये जानकर बहुत अच्छा लगा. मैंने उसे बताया कि यहाँ कंपनी का फ्लैट मिला है, तो उसने पूछना शुरू किया कि खाना कहाँ खता हूँ, सामान क्या क्या लिया है, कौन- कौन रहता है इत्यादि? फिर मैंने उससे चाय के मसाले के बारे में पूछा तो उसने सारा बताया. मिट्ठू से बात करके बहुत अच्छा लगा. आज मैंने फ्लैट के लिए कुछ सामान भी खरीदा जैसे कि दूध के लिए बर्तन, चाय के लिए सस्पेन, चाय कि पत्ती, चीनी, नमक, चना, गुड और मूंग ताकि सुबह नाश्ते में खा सकूं. अभी १२:१० बजे हैं लेकिन नींद नहीं आ रही है, इसलिए बैठा डायेरी लिख रहा हूँ. जब भी आँख बंद करता हूँ तो मिट्ठू का वही चेहरा सामने आ जाता है. हे भगवन मेरी मिट्ठू को खुश रखना, मेरी सारी ख़ुशी मिट्ठू कि और उसके सारे गम मेरे. अब सोने कि कोशिश करता हूँ, क्योंकि कल सुबह क्योंझर जाना है...
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