Monday 23 August 2010

आज ११:३३ पे मिट्ठू का कॉल आया, उसने पहले कि ही तरह तबियत के बारे में पूछा. वो जानना चाह रही थी कि मैं कहाँ हूँ? मैंने उसे बताया कि मैं विसखापत्नाम में हूँ. फिर उसने मेरी जॉब के बारे में जानना चाहा... तो मैंने उसे बताया कि ये जॉब मुझे मुन्ना चा कि मदद से मिली है. फिर उसने एक बहुत अजीब सा सवाल पूछा जो मैं समझ नहीं पाया कि उसने ऐसा क्यों पूछा? उसका सवाल था कि क्या मेरा ट्रान्सफर दिल्ली नहीं हो सकता है? मैंने उसे बताया कि दिल्ली में ऐसा कोइ काम नहीं है जो मेरी कंपनी करती हो. उसके बाद उसने मुझसे मिलने कि इच्छा जाहिर कि, उसने बोला कि क्या मैं दिल्ली आ सकता उससे मिलने? ये सुनते ही मनो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन अगले ही पल उसने ये साफ़ कर दिया कि मैं कोइ उम्मीद नहीं करूँ, वो सिर्फ मुझसे कुछ बात करना चाहती है. उसने ये भी साफ़ साफ़ कहा कि वो मुझसे अकेले नहीं मिलेगी, कोइ उसके साथ होगा, मैंने बोला वो मुझसे मिलेगी मेरे लिए यही बहुत है. लगभग १६ महीने बाद मैं अपनी मिट्ठू को देखूँगा मेरे लिए इस से बड़ी ख़ुशी क्या होगी?
फिर मैंने उसे बोला ठीक है मैं अपने बॉस से छुट्टी के बारे में बात करके उसे बताऊँगा कि मैं दिल्ली कब आ रहा हूँ...अभी उससे बात हो ही रही थी कि ऑफिस से फ़ोन आने लगा, बार-बार फ़ोन कि घंटी सुन कर मिट्ठू ने बोला कि जाओ काम करो बाद में बात करेंगे. हे भगवन आज का दिन कितना अच्छा है मेरे लिए... मेरी मिट्ठू ने खुद फ़ोन करके मुझसे मिलने कि इच्छा जाहिर कि है. हे भगवन मेरी मिट्ठू को मेरी सारी खुशियाँ देना और उसके सारे गम मुझे दे दो...

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