Monday 23 July 2012

आज 23 जुलाई है, मिट्ठू का जन्मदिन . बहुत समझाने के बाद भी जब मन नहीं माना तब फ़ोन उठाया और उसका नंबर लगाया, दूसरी तरफ से घंटी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। तीन-चार घंटियों के बाद फ़ोन उठा और सामने से वही पुरानी मीठी सी हेल्लो की आवाज़ आयी जिसको सुनने के लिए मैं  दो साल से इंतज़ार कर रहा था। मेरे मुहँ से अनायास ही "हैप्पी बर्थडे मिट्ठू " निकल गया। फिर क्या था सामने से बीप ...बीप ..की आवाज़ आने लगी। फ़ोन कट चुका था। उम्मीद तो नहीं थी परन्तु सच यही था।

बोझिल मन से बिस्तर पे गया और सोने की कोशिश करने लगा ये जानते हुए भी की नींद तो आनी नहीं है। क्या करता दिमाग तो कहता है वो नहीं आएगी लेकिन दिल ये बात मानने के लिए तैयार हे नहीं है। यही सबकुछ सोचते-सोचते इसी कशमकश में पूरी रात छत देखते हुए निकल गयी। सुबह के 6 बज रहे थे, माँ सामने चाय का कप ले कर कड़ी थी और पूछ रही थी बाबा कब तक उसके बारे में सोचते रहोगे? वो अब नहीं आएगी बेटा। मैंने झट से सिर को हल्का सा एक तरफ झुकाते हुए अपनी नम आँखों को पोछते हुए कहा नहीं माँ बस वो नींद जल्दी खुल गयी थी इसलिए बस वो ऐसे हे लेता हुआ था। माँ भी समझ गयी और  बिना कुछ कहे ही चाय दे कर चली गयी।

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